रामनवमी के दिन हुई हिंसा को लेकर अब विदेशों से भी आयी प्रतिक्रिया, किसने क्या कहा?

रामनवमी के जिस त्योहार पर राम-राज्य की संकल्पना याद आती थी, उसी तिथि पर देश सांप्रदायिक झड़पों की भेंट चढ़ रहा। देश के कई शहरों में भीषण बवाल हुआ। पश्चिम बंगाल में हिंसक झड़पों की शुरुआत के बाद गुजरात और महाराष्ट्र जैसे भी राज्य भी दंगे की चपेट में आए. राजधानी दिल्ली में भी तनाव देखने को मिला. इन राज्यों में हुए बवाल की शुरुआत मामूली बहस से ही हुई लेकिन अंजाम हिंसक हो गया.

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ऐसा नहीं है कि सिर्फ पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र् और दिल्ली में ही स्थितियां तनावपूर्ण रहीं. योगी राज में उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही नजारा नजर आया, बस हिंसक झड़प नहीं हुई. लखनऊ और मथुरा जैसे शहरों में भी तनावपूर्ण स्थिति नजर आई बीते दिनों भारत के कुछ हिस्सों में रामनवमी के दिन हुई हिंसा को लेकर अब विदेशों से भी प्रतिक्रिया आ रही है.ख़ासकर इस्लामिक देश, संगठन और मानवाधिकार संस्थाओं ने भारत को इस मामले में आड़े हाथों लिया है. और अपने एजेंडे के तहत भारत को बदनाम करने कोशिश की है और इस पुरे हिंसा को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की है। जबकि रामनवमी को जिन राज्यों में हिंसा व दंगा हुवा उन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि जो लोग भारत को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है उन लोगो की मानसिकता कैसी होगी। इस्लामिक देश के कुछ पत्रकारों ने भी भारत के ख़िलाफ़ पाबंदी की मांग की है.भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने कहा है कि भारत में इस्लामोफ़ोबिया से जुड़ी घटनाएं बढ़ रही हैं, इसे लेकर सरकार को क़दम उठाना चाहिए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि रामनवमी के मौक़े पर भारत के कम से कम आठ राज्यों में कट्टरपंथी संगठनों ने सार्वजनिक रैलियां कीं और वहां मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाएं सामने आईं. कई जगहों पर मस्जिदों और मुसलमानों के घरों पर हमले कर उन्हें नुक़सान पहुँचाया गया.

अपने बयान में पाकिस्तान ने बिहार के नालंदा ज़िले की घटना का ज़िक्र किया है और लिखा है कि यहाँ एक मदरसे को जला दिया गया. पाकिस्तान ने कहा है कि इस आग में पवित्र क़ुरान समेत क़रीब 4,500 क़िताबें जल कर खाक़ हो गईं.विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत की और इस्लामोफ़ोबिया की घटनाएं बढ़ रही हैं. मंत्रालय ने कहा है कि भारत की मौजूदा सरकार हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रही है और राजनीति में इस्लाम विरोधी रुख़ अपना रही है. 57 इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने एक बयान जारी कर भारत में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुई कथित हिंसा पर गंभीर चिंता जताई है.ओआईसी ने भी अपने बयान में बिहार शरीफ़ में मदरसे और उसकी लाइब्रेरी में आग लगाने की घटना का ज़िक्र किया है और कट्टर हिंदुओं की भीड़ ने इस घटना को अंजाम दिया है.oic ने अपने बयान में हिंसा और भड़काने वाली कार्रवाई की आलोचना की है और कहा है कि ये भारत में बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया और सुनियोजित तरीक़े से मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने का नतीजा है.ओआईसी ने भारत सरकार से मुसलमानों पर हमला करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई और मुसलमानों की सुरक्षा, अधिकारों और उनसे सम्मान की रक्षा की गुज़ारिश की है.मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की दक्षिण एशिया की निदेशिका मीनाक्षी गांगुली ने एक बयान जारी कर कहा कि 30 और 31 मार्च को भारत के कई राज्यों में हिंसक घटनाएं हुई थीं.

बिहार में भीड़ ने एक मदरसे को आग के हवाले कर दिया और हिंसा में एक हिंदू युवा की मौत की ख़बर आई.एचआरडब्ल्यू ने अपने बयान में कहा कि भारत में सत्ताधारी बीजेपी हिंदू त्योहारों का इस्तेमाल वोट जुटाने के लिए कर रही है, जिससे हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं.उन्होंने लिखा कि भीड़ को राजनीतिक संरक्षण का भरोसा होता है और इसमें शामिल लोग मानते हैं उन्हें इसके लिए सज़ा नहीं दी जाएगी.

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