by Lavkush Mishra
साल 2022 चुनाव के लिहाज से बेहद अहम हैं। इस साल एक के बाद एक चुनाव हुए हैं और होने जा रहे हैं। पहले यूपी समेत 5 राज्यों में विधानसभा और अब देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद यानी की राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव (PRESIDENT ELECTION )को लेकर देशभर में सरगर्मी बढ़ गई है। 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को काउंटिंग का ऐलान होने के बाद राजनैतिक पार्टियों के बीच मंथन शुरू हो चुका है। बीजेपी की तरफ से द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं। उन्होने नामांकन भी दाखिल कर दिया है। तो विपक्ष यशवंत सिन्हा (YASHWANT SINHA) के मैदान में उतारने की तैयारी में है। जिसका समर्थन सपा ने भी कर दिया है। लेकिन अभी तक न तो सपा के गठबंधन ने यशवंत सिन्हा को समर्थन दिया है और न ही कांग्रेस और बहुजन ने। जिसके बाद माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश , राष्ट्रपति चुनाव में अहम योगदान निभाने जा रहा है। इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने द्रोपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है हालांकि मायावती (Mayawati)का ये भी कहना है की किसी भी राजनीतिक दल के प्रभाव में NDA उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला नहीं लिया गया ।

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष ने अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से द्रौपदी मुर्मू ने नामांकन दाखिल कर दिया है। इस दौरान बीजेपी के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। वजह ये है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए पड़ने वाले वोट्स में करीब 14 प्रतिशत वोट यूपी के पास हैं। ऐसे में देश के सबसे बड़े प्रदेश के सांसदों और विधायकों की भूमिका अहम रहने वाली है। उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति चुनाव में पड़ने वाले मतों को संख्या को देखें तो अभी की स्थिति में एनडीए की द्रौपदी मुर्मू को यूपी से मिलने वाले मतों की वैल्यू 1 लाख 19 हजार 084 है। हालांकि इसमें आज़मगढ़ -रामपुर के चुनाव नतीजे और क्रॉस वोटिंग या निर्दलीयों का झुकाव शामिल नहीं है।

NDA के पास टोटल- 5,26,420 वोट हैं, इनमें विधायकों- 2,17,020 और सांसदों- 3,09,400
बीजेपी की तरफ से द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं तो विपक्षों दलों ने बीजेपी से टीएमसी में गए यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी घोषित किया है। जिनका यूपी के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी समर्थन कर दिया है। हालांकि सपा गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों की अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जिसके चलते सपा गठबंधन का नजरिया साफ नहीं हो सका। साथ ही बीएसपी ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इतना ही नहीं ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक से टीआरएस, बीजेडी, आम आदमी पार्टी, शिरोमण अकाली दल और YSRCP ने भी दूरी बनाए रखी। जिसके इन दलों की प्रतिक्रिया भी साफ नहीं हो सकी।

UPA के पास टोटल 2,59,892 वोट हैं इनमें विधायकों- 1,47,192 सांसदों के- 1,12,700

अन्य दलों के पास टोटल- 2,92,894 वोट हैं, इनमें विधायकों 1,78,094, सांसदों- 1,14,800
जाहिर है कि राष्ट्रपति चुनाव के बहाने बीजेपी उत्तर प्रदेश में एक तरफ अपने घटक दल को साथ में रखकर बड़ा मैसेज देना चाहती है। हालांकि अखिलेश ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजधानी लखनऊ में एक अहम बैठक भी बुलाई। जिसमें चुनाव के हर पहलू पर चर्चा की गई। सपा समेत अन्य दलों को इस चुनाव में कहीं न कहीं क्रॉस वोटिंग का भी डर है।