मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के बीच एक अहम बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच सहयोग को नई दिशा देने पर सहमति बनी। यह बैठक भारत और यूके के बीच बढ़ते आर्थिक, तकनीकी और शैक्षिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
इंडिया-यूके टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने उद्योग, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्रों में साझेदारी को गहराने पर जोर दिया। भारत के विशाल टैलेंट और स्केल को ब्रिटेन की इंडस्ट्रियल एक्सपर्टाइज और रिसर्च क्षमता के साथ जोड़ने की योजना पर भी चर्चा हुई। इस मौके पर “इंडिया-यूके टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव” जैसे नए सहयोग मंच की घोषणा की गई, जो क्रिटिकल और इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज में संयुक्त शोध और नवाचार को बढ़ावा देगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी प्रगति दर्ज की गई है। ब्रिटेन की नौ प्रमुख यूनिवर्सिटीज भारत में अपने कैंपस शुरू करने जा रही हैं। इनमें साउथ हैम्पटन यूनिवर्सिटी का गुरुग्राम कैंपस और गिफ्ट सिटी में तीन अन्य यूनिवर्सिटीज के कैंपस शामिल होंगे। इससे छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा भारत में ही उपलब्ध हो सकेगी और शिक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग और गहरा होगा।
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025
दोनों नेता मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में भी शामिल हुए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत आज ग्लोबल साउथ के देशों के लिए आशा की किरण बन चुका है। उन्होंने बताया कि भारत ने लोकतांत्रिक मूल्यों को शासन व्यवस्था का मजबूत आधार बनाया है और पिछले दशक में तकनीक को जनसुलभ बनाकर असमानताओं को कम किया है।
भारत का डिजिटल ढांचा
मोदी ने कहा कि भारत ने तकनीक को सिर्फ सुविधा का माध्यम नहीं, बल्कि समानता का साधन बना दिया है। उन्होंने बताया कि भारत का डिजिटल ढांचा और एआई मिशन डेटा सुरक्षा और गोपनीयता दोनों का ध्यान रखता है। भारत ने दिखाया है कि कैसे तकनीक के माध्यम से बैंकिंग और भुगतान प्रणाली को आम नागरिकों तक पहुंचाया जा सकता है।
ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म्स
उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने डिजिटल अनुभवों और ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म्स को ग्लोबल पब्लिक गुड के रूप में साझा कर रहा है ताकि दुनिया भर में डिजिटल सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा दिया जा सके।