लोक सभा में केन्द्र सरकार के खिलाफ कांग्रस पार्टी के सांसद गौरव गोगई ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था..जिसका 50 विपक्षी सासदों ने समर्थन किया… इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है…
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लेकिन आखिर क्या है अविश्वास प्रस्ताव और इसे लाने की जरूरत क्यो पड़ी? किसी भी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार तब तक है जब तक उसके पास लोक सभा में बहुमत हो.और सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है या नहीं, इस बारे में जांच करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का नियम बनाया गया है. किसी भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है..औऱ भारत में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. जिसमें से 15 बार प्रस्ताव इंद्रा गंधी की सरकार के खिलाफ था. हालाकि सरकार हमेंशा सुरक्षित रही. इसे पास कराने के लिए लोकसभा में मौजूद और वोट करने वाले कुल सांसदों में से 50% से ज्यादा सांसदों के वोट की जरूरत होती है. जिसके बाद सपीकर प्रस्ताव को बास कर चर्चा का समय औऱ तारीख तय करता है.

प्रस्ताव सवीकार करे जाने के 10 दिन के अंदर सदन में चर्चा शुरू होती हैप्रस्ताव में लाए गए मुद्दो के खिलाफ सदन में चर्चा होती है जिसका मुखिया को जबाव देना होता है और अगर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट बहुमत में आते है तो सरकार गिर जाती है. भाजपा की सरकार के खिसाफ प्रस्ताब के बाद लोकसभा में प्रस्ताव लाने वाले सांसद ने खुद भी माना है कि उनके पास बहुमत नहीं है..वही बीजेपी का कहना है कि उनके पास बहुमत है.लोक सभा में नडीए के पास 333 वोट india alliance के पास 143 वोट और अन्य दलो के पास 64 वोट है. विपक्षी दलों ने मोदी सरकार को मणिपुर हिंसा के मामले में जवाब देने को कहा है.
REPORT BY
DIVYA MADHWANI