आज हम बात करेंगे भारत पर कुल कितना कर्ज है और भारत का हर एक नागरिक कितना कर्जदार है,और क्या वाकई में मोदी सरकार ने 2014 से लेकर अबतक 100 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया हैं
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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार से किया सवाल
ये सब बातें आज हम इस लिए कर रहे है क्योंकि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि मोदी देश के 15 वें प्रधानमंत्री हैं लेकिन जो काम उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर सके उन्होंने अपने मात्र नौ साल के कार्यकाल में कर दिखाया और देश का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 155 लाख करोड़ रुपए पहुंचा दिया है।कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में ये दावा किया कि मोदी सरकार ने देश पर 100 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बढ़ा कर अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया है इसलिए उन्हें देश की अर्थव्यवस्था पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। उनका कहना है कि मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो देश पर महज 55 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था लेकिन यह अब तीन गुना बढ़ गया है।
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि 2014 में भारत का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था, जो अब 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

भारत में नवजात शिशु के सिर पर भी कऱीब 1.2 लाख का कर्ज
उन्होंने दावा किया कि 67 वर्षों में 14 प्रधानमंत्रियों के तहत भारत का कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये था, जबकि अकेले मोदी ने इसे 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा दिया है।प्रवक्ता ने आगे कहा, “आज हालत यह हो गई है कि देश कर्ज में डूब गया है और देश पर 100 लाख करोड़ रुपए का कर्ज बढ़ गया है। इसका मतलब है कि आज हर हिंदुस्तानी पर – मतलब पैदा हुए नवजात शिशु के सिर पर भी कऱीब 1.2 लाख का कर्ज है।”उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी जी ने अपने कार्यकाल के हर सेकंड चार लाख रुपए का कर्जा, हर मिनट 2.4 करोड़ का कर्जा, हर घंटे 144 करोड़ का कर्जा, 3456 करोड़ रुपए हर दिन का कर्जा, हर महीने 1.03 लाख करोड़ और हर साल 12.47 लाख करोड़ इस देश पर लाद दिया है। आलम यह है कि हमारे यहां आज दुनिया में सबसे महंगी रसोई गैस, तीसरा सबसे महंगा पेट्रोल और आठवां सबसे महंगा डीजल देश में बिक रहा है।

“आइये अब हम आपको ये भी बताते कि क्या भारत एकलौता ऐसा देश है जो कर्ज लेता है या फिर अन्य देश भी कर्ज लेते है तो हम आपको बता कि दुनिया के कई ऐसे देश है जो भारत से कई गुना ज्यादा विश्वा बैंक के कर्जदार है ,कर्जदार देशों की लिस्ट में भारत आठवें स्थान पर मौजूद है. मौजूदा हालत में भारत पर 1851 अरब डॉलर का कर्ज है. कुल वैश्विक कर्ज में भारत की हिस्सेदारी 2.7% है। ….

दुनिया में ऐसे कई देश है जिनकी स्थिति बहुत ख़राब है जिसमें पाकिस्तान श्रीलंका जापान,ग्रीस लेबनान,इटली अमेरिका ,सिंगापुर,केप वर्डे,फ्रांस ,रूस भूटान व कई अन्य देश भी शामिल है। अब आपको ये भी जानना बहुत जरुरी है कि आखिर इतने बड़े बड़े देश कर्ज क्यों लेते है तो इसका जवाब है जिस तरह से आप और हम अपने घर का बजट बनाते हैं. कुछ इसी तरह सरकार भी देश का बजट बनाती है कि सरकार की कितने रुपये की आमदनी किस मद से होगी और कितना खर्च होगा इसका हिसाब किताब बजट में होता है. लेकिन जिस तरह से कई बार हम सबको अपनी खर्चों को पूरा करने के लिए दोस्तों, रिश्तेदारों और बैंकों आदि से कर्ज लेना पड़ता है. वैसे ही सरकार को भी अपना खर्च पूरा करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ जाता है.असल में सरकार का खर्च हमेशा उसकी आय से ज्यादा होता है. हर साल की परिस्थितियों के मुताबिक सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे कल्याण और विकास कार्यों पर भारी रकम खर्च करनी पड़ती है. इसलिए भी सरकार को उधार लेना पड़ता है.

सरकार दो तरह से लोन लेती है इंटर्नल या एक्सटर्नल. यानी भीतरी कर्ज जो देश के भीतर से होता है और बाहरी कर्ज जो देश के बाहर से लिया जाता है. आंतरिक कर्ज बैंकों, बीमा कंपनियों, रिजर्व बैंक, कॉरपोरेट कंपनियों, म्यूचुअल फंडों आदि से लिया जाता है. बाह्य या बाहरी कर्ज मित्र देशों, आईएफएम विश्व बैंक जैसी संस्थाओं, एनआरआई आदि से लिया जाता है. विदेशी कर्ज का बढ़ना इसलिए अच्छा नहीं माना जाता, क्योंकि इसके लिए सरकार को अमेरिकी डॉलर या अन्य अन्य विदेशी मुद्रा में चुकाना पड़ता है .विश्व बैंक के अनुसार अगर किसी देश में बाहरी कर्ज यानी विदेशी कर्ज उसके जीडीपी के 77 फीसदी से ज्यादा हो जाए तो उस देश को आगे चलकर बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा होने पर किसी देश की जीडीपी 1.7 फीसदी तक गिर जाती है.

फ़िलहाल ये तो रही बात देश पर कर्जे की लेकिन अब आपके मन में एक सवाल आरहा होगा कि देश जब इतने कर्जे में है तो देश का क्या होगा हमारे विकास का क्या होगा तो आप को इन सवालों से बिलकुल भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योकि भारत तेजी से एक मजबूत राष्ट्र की तरफ बढ़ रहा है और आने वाले समय में भारत की एक मजबूत अर्थव्यवस्था भी होगी भारतीय स्टेट बैंक के एक रिसर्च पेपर के मुताबिक भारत 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, जबकि 2029 तक जापान से आगे निकल..जायेगा