मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पिछले 54 दिनों से हिंसा जारी है…. इसी बीच सेना नें एक वीडियो जारी किया है… जिसमें सेना ने मणीपुर के लोगों से सहयोग की अपील है…सेना ने कहा कि…
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सुरक्षाबलों के ऑपरेशन के दौरान ऐसा कई बार हुआ जब कुछ लोगों ने इसमें दखल देने की कोशिश की…हमारे मानवीय व्यवहार को हमारी कमजोरी ना समझें…आप हमारा सहयोग करेंगे तभी हम मणिपुर में शांति और कानून-व्यवस्था बहाल कर पाएंगे… दरअसल 24 जून को पुलिस और सेना ने मिलकर एक आपरेशन चलाया था…जिसमें सेना ने प्रतिबंधित संगठन कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडर्स को पकड़ा था…इन्हे छुड़ाने के लिए हज़ार से ज्यादा महिला सेना खिलाफ हो गई थी… सुरक्षा बलों ने भीड़ से हटने की अपील की लेकिन वे नहीं ह़टे…जिसकी वजह से उन्हें कैडर्स को छोड़ना पड़ा और ऑपरेशन को भी रोकना पड़ा…सेना ने भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया…

हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है..वहीं 419 लोग घायल हो चुके है…इस जंग की वजह क्या है हम आपको बताते है……यह आरक्षण तीन मई से शुरू हुआ… जब कोर्ट ने आदेश दिया था कि… 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू किया जाएगा…जिसमें गैर जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति समुदाय में शामिल करने की बात की गई…इस फैसले के बाद मैतेई और कुकी समाज में जमकर हिंसा शुरू हो गई…. मैतेई हमेशा से मांग करते रहे हैं…कि उन्हें अनुसूचित जनजातियों में शामिल किया जाना चाहिए…लेकिन नागा और कुकी समुदाय को लगता है…कि अगर ऐसा हुआ तो उनका हक़ छिन जाएगा…क्योंकि राज्य में 50 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी मैतेई समुदाय की ही है…..

राज्य में मैतेई समुदाय के लोग राजनीतिक और आर्थिक तौर पर भी ज़्यादा ताकतवर हैं, और 60 सीट वाली मणिपुर विधानसभा में 40 सीटें घाटी से ही आती हैं, जहां मैतेई बहुमत में हैं, और बाक़ी 20 सीटें पहाड़ी इलाक़ों में हैं… नागा और कुकी समुदाय मानते हैं कि…अगर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया… तो राज्य में ज़मीन के अधिकारों को लेकर संघर्ष बढ़ जाएगा…. और मैतेई समुदाय को इसका फ़ायदा मिलेगा.अब देखना यह है कि क्या सेना इस हिंसा को रोकने में कामयाब होगी… लोगों की आपस की लड़ाई में और कितने मासूमों की जाने जाएगी……
REPORT BY
DIVYA MADHWANI