मंदसौर के नावली गांव की पहाड़ियों पर बसा हिंगलाजगढ़ का किला पहचान खो रहा है… ये किला धीरे-धीरे जर्जर हालत में पहुंच रहा है… ये स्थान पुरातत्व विभाग के अधीन आता है, लेकिन किले में मौजूद ऐसी कोई धरोहर नहीं बची, जो जर्जर हालत में न हो… सूरजकुंड जर्जर हो गया है…
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परमार काल में किले का वैभव चरम पर था… किले में कई कालखंडों की मूर्ति आज भी मौजूद हैं, ये किला 800 साल तक मूर्ति शिल्पकला का केंद्र रहा है… किले में मूर्ति गुप्त और परमार काल की हैं… किले में मिली सबसे पुरानी मूर्ति 16सौ साल पुरानी है, जो चौथी-पांचवी शताब्दी की मानी जाती हैं… यहां की प्रतिमा को फ्रांस और वॉशिंगटन में हुए इंडिया फेस्टिवल में भेजा गया था, जिसकी खूब तारीफ हुई थी…

चंद्रावत शासन काल में ये किला खण्डर में तब्दील हो गया… 1773 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने लक्ष्मण सिंह चंद्रावत को पराजित कर किले पर आधिपत्य जमाया था, तब इसका नवीनीकरण किया गया था… हिंगलाजगढ़ किले में माता, राम और शिव मंदिर बनाए गए…
हिंगलाजगढ़ माता के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं, लेकिन देख-रेख के अभाव में ये किला अपनी पहचान खोता जा रहा है…