यूपी के योगदान के बिना केंद्र में सरकार बनाना मुश्किल

भारतीय जनता पार्टी (BJP) आज अपना 43वां स्थापना दिवस मना रही है। दो सांसदों से शुरू हुई बीजेपी की यह यात्रा आज अपने चरम पर पहुंच चुकी है। केंद्र में बीजेपी की जब जब सरकार बनी चाहे वो बीजेपी की हो या गैरबीजेपी को हो उसमें यूपी का अहम योगदान रहा। आज बीजेपी जिस ऊंचाई पर दिख रही है उसमें सबसे अहम योगदान अस्सी के दशक में शुरू अयोध्या राम मंदिर आंदोलन का है। बीजेपी की ग्रोथ में मंदिर मुद्दे का अहम योगदान रहा है। इसके अलावा यूपी ही एक ऐसा राज्य है जहां से बीजेपी को हमेशा समय समय पर ऊर्जा मिलती रही है और इसका लाभ बीजेपी को मिला है। यूपी की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नरेंद्र मोदी को भी यूपी से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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यूपी के योगदान के बिना केंद्र में सरकार बनाना मुश्किल

6 अप्रैल 1980 को जब बीजेपी का गठन हुआ था उस समय बीजेपी में तीन त्रीमूर्ति थे। अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी। इसमें से दो वाजपेयी और जोशी यूपी के ही थे। बीजेपी के इस ग्रोथ में इन दोनों के योगदान को कभी नकारा नहीं जा सकता था। बीजेपी की दो सांसदों की यह यात्रा आज 300 का आंकड़ा पार कर गई है। इस आंकड़े में यूपी की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यदि इसमें से यूपी के सांसदों को हटा दिया जाए तो बीजेपी को केंद्र में सरकार बनाना भी मुश्किल हो जाए। पीएम मोदी के दोनों कार्यकाल हों या अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही हो दोनो समय में यूपी की संख्या के दम पर ही केंद्र में सरकार बन पाई।

बीजेपी को खड़ा करने की ऊर्जा यूपी से मिली

बीजेपी की इस राजनीतिक यात्रा में यूपी का योगदान इस लिहाज से भी अहम हैं क्योंकि यूपी के बिना देश का विकास नहीं हो सकता है। आबादी के लिहाज से यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। यूं कहें कि पीएम नरेंद्र मोदी की वजह से देशभर में गुजरात मॉडल पर चर्चा होती है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को यदि 5 ट्रिलियन तक ले जाना है तो यूपी का ग्रोथ आवश्यक है। दूसरी ओर देखें तो यूपी में काशी, मथुरा और अयोध्या जैसे मुद्दे हैं जो बीजेपी ओर आरएसएस को सूट करते हैं और यही एजेंडे पार्टी को समय समय पर खाद पानी देते रहे हैं। इसलिए बीजेपी को खड़ा करने में सर्वाधिक ऊर्जा यूपी से ही मिलती है।

राम मंदिर आंदोलन ने निभाई अहम भूमिका

राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि बीजेपी आज अपनी 43 साल की यात्रा में जहां भी खड़ी है उसमें राम मंदिर का अहम योगदान है। राम मंदिर आंदोलन के बिना बीजेपी की ग्रोथ की कल्पना नहीं की जा सकती। यह वही मुद्दा है जिसकी वजह से दो सांसदों वाली बीजेपी आज 300 के आंकड़े को पार कर गई है। राम मंदिर का मुद्दा चूंकि जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा था तो उसने सिर्फ यूपी में ही बीजेपी को फायदा नहीं पहुंचाया बल्कि पूरे देश में इसका व्यापक असर पड़ा और बीजेपी के उत्थान में अहम भूमिका निभाई।

पीएम मोदी भी यूपी आने के लिए हुए मजबूर

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी गुजरात के सीएम थे। मोदी को जैसे ही पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया वैसे ही यूपी एक बार फिर चचा के केंद्र में आ गया था। इसकी वजह ये थी कि पीएम मोदी और बीजेपी को ये पता था कि यदि केंद्र में सरकार बनानी है तो यूपी का रण जीतना काफी जरूरी है। इसीलिए रणनीतिक तोर पर मोदी ने बनारस से लड़ने का ऐलान किया। कई राजनीतिक विश्लेषक आज भी इस बात को मानते हैं कि मोदी यूपी सेचुनाव लड़ना मोदी का एक मास्टर स्ट्रोक था। यदि वह बनारस से चुनाव नहीं लडे़ होते तो शायद ही बीजेपी को यहां से 71 सीटें मिली होती। ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी से पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी समेत कई पीएम यूपी से चुनाव लड़ चुके थे।

यूपी आरएसएस के आनुषंगिक संगठनों की ऊर्जा का स्रोत

बीजेपी के लिए ही नहीं बल्कि उसके मातृ संगठन आरएसएस को भी यहां से हमेशा से ही ऊर्जा मिलती रही है। कहा जाता है कि संघ के धार्मिक एजेंडे में ही बीजेपी का समूचा एजेंडा समाहित होता है इस लिहाज से यूपी की अहमियत का अंदाजा आरएसएस के साथ ही बीजेपी को भी है। बीजेपी जब 2024 के आम चुनाव के मुहाने पर खड़ी है उस समय भी यूपी ही एक ऐसा राज्या है जहां से उसको सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। बीजेपी अब इस कोशिश में है कि जो राम मंदिर आंदोलन अस्सी के दशक में शुरू हुआ था उसे शानदार अंजाम तक पहुंचाया जाए और 2024 से पहले हर हाल में राम मंदिर का निर्माण पूरा किया जाए। इसके संकेत ट्रस्ट की तरफ से भी मिल चुके हैं। इसलिए आने वाले समय में भी यूपी बीजेपी को उसके एजेंडे के मुताबिक खाद पानी देता रहेगा।

बीजेपी की ग्रोथ में अब अहम योगदान दे रहे योगी

बीजेपी आज अपना स्थापना दिवस मना रही है लेकिन जिस तरह से बीजेपी को देश की सत्ता दिलाने में यूपी का योगदान रहा है उससे नकारा नहीं जा सकता है। देश में जब अटल बिहारी वाजपेयी के अगुवाई वाली बीजेपी की सरकार बनी थी तब यूपी में कल्याण सिंह सीएम थे। इस नाते यूपी से बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा सीटें गईं थीं। मोदी पहली बार जब देश के पीएम 2014 में बने तब यूपी ने ही सबसे अधिक सीटें बीजेपी की झोली में डाली थीं। हालांकि तब यूपी में बीजेपी के पास सत्ता नहीं थी। लेकिन लंबे बनवास के बाद यूपी में 2017 में बीजेपी को सत्ता मिली और योगी आदित्यनाथ को सूबे का सीएम बनाया गया। यूपी की कमान संभालने के बाद योगी जिस तरह से आरएसएस और बीजेपी के एजेंडे को खाद पानी दे रहे हैं उसका परिणाम ही है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर यूपी ने बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें दी। अब निशाने पर 2024 है और बीजेपी एक बार फिर यूपी और योगी से ऐसी ही उम्मीद लगाए बैठी है।

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