197 साल की हुई हिंदी पत्रकारिता ,जानिए कैसा रहा आज तक का सफर

खींचो न कमानो को न तलवार तलवार उठाओ

जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार उठाओ
अक़बर इलाहाबादी का ये शेर पत्रकारिता की ताक़त बयान करता है और आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। लकतंत्र के चौथे खम्भे को थामकर खड़े कलम के सिपाहियों को शुभकामनाएं।आज के ही दिन पहला हिंदी भाषी अखबार उदन्त मार्तण्ड 1826 प्रकाशित हुआ था

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जिसके संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल थे और यह एक साप्ताहिक अखबार था…तभी से इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है . वैसे भारत में पत्रकारिता के जनक जेम्स ऑगस्टस हिक्की थे जिन्होंने 1780 में द बंगाल गजट नमक पहला अखबार कलकत्ता से निकाला था। हिंदी पत्रकारिता आज 197 साल की हो गयी जो 2026 को अपनी खट्टी मीठी यादो के साथ २००वें साल में प्रवेश करेगी।चाहे अंग्रेजो की गुलामी हो या घोषित अघोषित आपातकाल,,, हर कालखंड में खबर नवीशो ने सच का दमन नहीं छोड़ा।आजादी की लड़ाई के समय में अखबार हथियार के तौर पर इस्तेमाल किये जाते रहे… .लगभग बड़े स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने अखबार या पत्रिका को आपना हथियार बनाया जैसे गाँधी जी ने हरिजन पत्रिका का सहारा लिया।उस समय संचार के माध्यम की अल्पता के कारण यही अखबार ही देश की जनता में क्रांति की ज्वाला जगाते थे..

भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण व् सम्बर्धन में पत्रकारिता ने प्रहरी का काम किया है। . बहरहाल ये बातें तो अब इतिहास में सिमट गयी हैं लेकिन आज के परिवेश में .पत्रकारिता का स्तर तथा गुणवत्ता की स्थिति क्या है,,,पत्रकारों की सुरक्षा संरक्षा के प्रति सरकारों का रवैया क्या है ,,,,जनता में पत्रकारों की क्या छवि है ,,,,,तथा 1780 से लेकर आज तक पत्रकारिता कितनी गंभीर ;संजीदा तथा परिपक्क्व हुई है इस बारे अपने अनुभव हमसे साझा जरूर करें

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