गोरखपुर-धनराशि से किया किनारा, लेकिन सम्मान स्वीकार्य-गीता प्रेस

भारत सरकार की ओर से गांधी शांति पुरस्कार 2021 की घोषणा कर दी गई है, जिसमें गीता प्रेस गोरखपुर को भी यह पुरस्कार मिलेगा ,इससे पहले गीता प्रेस ने कोई पुरस्कार स्वीकार नहीं किया था

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गोरखपुर-उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में गीता प्रेस धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए प्रचलित है गीता प्रेस लागत से कम मूल्य में धार्मिक किताबों को छपता है और इसकी किताबें पूरे विश्वभर में प्रचलित है इसी बीच 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस को चुना गया है , गीता प्रेस की ट्रस्टी पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार को बहुत आभार व्यक्त किया है, लेकिन ट्रस्टी और मैनेजर ने पुरस्कार तो स्वीकार किया है लेकिन उससे मिलने वाली धनराशि को लेने से मना कर दिया है, अगर बात करें गीता प्रेस गोरखपुर की तो उनके परंपरा के मुताबिक उन्होंने आज तक कोई भी सम्मान स्वीकार नहीं किया है ,लेकिन परंपरा को तोड़ते हुए गांधी शांति पुरस्कार को स्वीकार करेगा

गीता प्रेस गोरखपुर की बोर्ड मीटिंग में यह निर्णय लिया गया इस बार परंपरा को तोड़कर सम्मान स्वीकार किया जाएगा लेकिन गांधी शांति पुरस्कार के साथ मिलने वाली 1 करोड़ की धनराशि को नहीं लेंगे

गांधी शांति पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र, एक पट्टिका और पारंपरिक हस्तकला, हथकरघा की कलाकृति और एक करोड़ दी जाती है ,उसके मुताबिक धनराशि को छोड़कर प्रशस्ति पत्र और आदि चीज़े लेंगे , उनका यह कहना है कि इससे भारत सरकार का सम्मान भी बना रहेगा और गीता प्रेस का सम्मान भी रह जाएगा

गीता प्रेस इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और इसी अवसर पर प्रधानमंत्री को निमंत्रण दिया है और उनका निमंत्रण स्वीकार भी कर लिया, हालांकि अभी कोई निश्चित तारीख नहीं मिली है

गीता प्रेस के चुने जाने पर वहां के प्रबंधक लालमणि तिवारी ने सब का आभार प्रकट किया है उन्होंने कहा है शताब्दी वर्ष पर इस सम्मान को मिलना हमें बहुत गौरान्वित महसूस करा रहा है और हम निरंतर ऐसे ही काम करते रहेंगे.

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