धरती माँ को समर्पित ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान: मुख्यमंत्री योगी ने लगाए 60 लाखवां पौधा

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'Ek Ped Maa Ke Naam 2.0' campaign dedicated to Mother Earth: Chief Minister Yogi planted the 60 lakhth sapling

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सठियांव ब्लॉक के केरमा गांव में ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0’ अभियान के अंतर्गत 60 लाखवां पौधा लगाकर “हरिशंकरी वाटिका” की स्थापना की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह केवल पौधरोपण नहीं, बल्कि धरती मां के प्रति कृतज्ञता, पर्यावरण संरक्षण और भावी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक समर्पित प्रयास है।

  • मुख्यमंत्री ने बताया कि यह महाअभियान 2025 तक जारी रहेगा और इसका उद्देश्य केवल हरियाली बढ़ाना नहीं, बल्कि समाज में धरती के प्रति संवेदना और उत्तरदायित्व की भावना को जाग्रत करना है। उन्होंने यह भी बताया कि इस अभियान के पहले चरण से लेकर अब तक प्रदेश में 22 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
The Chief Minister said that India is the only country where the earth has been given the status of ‘mother’. The values ​​that the sages and saints have given us to connect with nature and earth are reminded to us through such campaigns. He appealed to the people to plant a tree and dedicate it to the mother.
  • इस कार्यक्रम की शुरुआत सुबह सात बजे से हुई और पूरे राज्य में जनसहभागिता के साथ पौधरोपण किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि ‘हरिशंकरी वाटिका’ में पीपल, बरगद और पाकड़ जैसे धार्मिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण वृक्षों को रोपित किया गया है, जो भारतीय परंपरा में पूजनीय माने जाते हैं।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर पूर्ववर्ती सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 2017 से पहले प्रदेश में वन माफिया, खनन माफिया और पेशेवर अपराधी सक्रिय थे, जिन्होंने अराजकता और अव्यवस्था को बढ़ावा दिया। जबकि वर्तमान सरकार प्रदेश को ‘ग्रीनवेव’ यानी हरियाली की लहर की दिशा में आगे ले जा रही है।
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र देश है जहां धरती को ‘मां’ का दर्जा दिया गया है। ऋषि-मुनियों ने हमें प्रकृति और धरती से जुड़ने का जो संस्कार दिया है, वही हमें ऐसे अभियानों के माध्यम से स्मरण होता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे एक पेड़ अवश्य लगाएं और उसे मां के नाम समर्पित करें। यह प्रकृति से संबंध को फिर से जोड़ने की पहल है। यह अभियान न केवल पर्यावरण सुधार की दिशा में, बल्कि सांस्कृतिक चेतना को पुनः जीवित करने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है।

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