अखिलेश यादव का दलित कार्ड!कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया

2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन की उम्मीद छोड़कर समाजवादी पार्टी अब दलितों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी अंबेडकर जयंती पर अपने अभियान की शुरूआत करेगी।

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रायबरेली में एक समारोह में बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया माना जा रहा है कि अखिलेश के इस कदम के अहम सियासी मायने हैं। निकाय चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर इस समय उत्तर प्रदेश कि सियासत गरम है। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियां और रणनीतियों में जुटे हुए हैं। इस सियासी रण में कोई भी सियासी दल नहीं चाहता कि उससे किसी भी तरह की चूक हो जाए। इसी बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी कांशीराम के जरिए सपा के दलित एजेंडे को साध रहे हैं।

ओबीसी और दलितों का साथ गेम चेंजर रुप में हो सकता है साबित

कांशीराम और मुलायम सिंह यादव के अनुयायियों को राष्ट्र निर्माण के लिए एक बार फिर हाथ मिलाने की तत्काल आवश्यकता है। यह सामाजिक न्याय के अपने विचार को आगे बढ़ाने का समय है जिसे दोनों नेताओं ने पहली बार 1993 में साझा किया था। सूत्रों के मुताबिक सपा नेतृत्व को लगता है कि कम से कम एक दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में ओबीसी-दलित गठजोड़ अपनी संख्या के बल पर गेम चेंजर बन सकता है। राजनीतिक गलियारों में इस कदम को 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ खड़े गैर-जाटव दलितों को अपने पक्ष में करने और बसपा के जाटव वोट आधार में सेंध लगाने की सपा की नवीनतम रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में कुल 6 दलित सदस्यों को मिली जगह

पार्टी की इस रणनीति का व्यापक ढांचा हाल ही में गठित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में भी देखा गया, जहां समिति में 62 सदस्य जिसमें लगभग 35 प्रतिशत गैर-यादव ओबीसी समुदायों से थे, विशेष रूप से पासी, कुर्मी, राजभर और निषाद जैसे चुनावी प्रभावशाली समुदायों से थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की सूची में कुल छह सदस्य दलित थे। इसके अलावा, अखिलेश अयोध्या के विधायक अवधेश प्रसाद को पार्टी के दलित चेहरे के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।

सपा के पास हैं कभी बसपा में रहे ये बड़े दलित चेहरे

बता दें कि सियासी रणनीति के तहत समाजवादी पार्टी ने बसपा के कई बड़े नेताओं को अपने साथ जोड़ा है, जिससे सपा दलित वर्ग में अपनी पकड़ को मजबूत कर सके। इंद्रजीत सरोज, केके गौतम, राम अचल राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, अवदेश प्रसाद, ये वो चेहरे हैं जिनके ऊपर दलित वर्ग को साधने की जिम्मेदारी है।

पार्टी के भीतर संगठन को मजबूत करने की तैयारियों में जुटी सपा

सपा में उनके बढ़ते कद को अखिलेश द्वारा यह संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है कि पार्टी दलितों को विशेष दर्जा देने को तैयार है। 2021 में अंबेडकर जयंती पर बाबासाहेब वाहिनी का गठन करने वाली सपा अब पार्टी के भीतर संगठन को मजबूत करने की योजना बना रही है। वाहिनी को सभी जिलों में अंबेडकर जयंती भव्य तरीके से मनाने को कहा गया है।

यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का अखिलेश पर हमला

अखिलेश यादव द्वारा कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण पर यूपी भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि अखिलेश यादव सत्ता पाना चाहते है इसलिए बसपा के वोट बैंक को प्राप्त करना चाहते है वो भूल गए कि सपा सरकार में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ और दलित समाज आज भी उस अपमान को भूला नहीं है इसलिए अखिलेश की कवायद से कुछ नहीं होने वाला है।

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