समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पार्टी सांसदों के साथ एक मस्जिद में हुई बैठक की तस्वीरों ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है, तस्वीरों के सामने आने के बाद भाजपा समेत कई राजनीतिक दलों और कुछ मुस्लिम मौलानाओं ने सपा और अखिलेश यादव पर तीखे सवाल उठाए हैं। इस मुद्दे को लेकर जहाँ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है, वहीं कुछ धार्मिक संगठनों ने भी धार्मिक स्थलों को राजनीति से दूर रखने की बात कही है।

- लखनऊ में पोस्टर के ज़रिए सपा का पलटवार
विवाद के बीच सपा नेता मोहम्मद इखलाक ने लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय के पास एक पोस्टर लगवाकर इस पूरे विवाद पर सपा का पक्ष बेबाकी से सामने रखा, पोस्टर में बड़े ही स्पष्ट और भावुक अंदाज़ में लिखा है: “अखिलेश हैं वो, जो नफरत का सौदा नहीं करते, मंदिर-मस्जिद को सियासत से जोड़ा नहीं करते।”
इस पोस्टर के जरिए सपा ने अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को फिर से स्थापित करने की कोशिश की है, नेता मोहम्मद इखलाक ने बिना किसी पार्टी का नाम लिए इशारों में कहा- “तुम्हारे लिए इबादत भी सियासी मैदान है, हमारे लिए मजहब मोहब्बत की पहचान है।”
- सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पोस्टर
गुरुवार देर रात लगाए गए इस पोस्टर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गईं, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है, समर्थक जहाँ सपा के स्टैंड की सराहना कर रहे हैं, वहीं विरोधी इसे ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोशिश बता रहे हैं।
अखिलेश यादव और सपा की यह पहल एक तरफ जहां उनके सेक्युलर स्टैंड को दिखाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह साफ करता है कि अब हर धार्मिक या सामाजिक गतिविधि का राजनीतिक मूल्यांकन होना तय है, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस पूरे मुद्दे पर किस पक्ष को सही मानती है।