युवाओं में तेजी से बढ़ रहे कार्डियक अरेस्ट के मामले, डॉक्टरों ने बताए बचाव ये के तरीके

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लाइफस्टाइल में लगातार गिरावट और खराब फिटनेस का असर अब युवाओं के दिल पर साफ दिखने लगा है। रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ हाइपरटेंशन इन इंडिया (RSSHI) की ताज़ा स्टडी बताती है कि हर तीसरा भारतीय उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की चपेट में है। ग्रामीण इलाकों में भी स्थिति अलग नहीं है, जहां हर पांचवां व्यक्ति इसका मरीज है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यह समस्या सीधे तौर पर कार्डियक अरेस्ट, ब्रेन हेमरेज, लकवा और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थितियों को जन्म दे रही है।

25 से 40 साल के युवाओं में तेजी से बढ़ रहा खतरा

फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल के मुताबिक 19 से 79 वर्ष की उम्र के करीब 37% लोग हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे हैं। इसमें 25 से 40 साल की उम्र के युवाओं की संख्या सबसे तेज़ी से बढ़ रही है। इसका असर सिर्फ दिल ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क, लिवर, किडनी और आंखों पर भी पड़ रहा है।

तनाव और खराब नींद बने बड़ी वजह

कार्यक्रम के चेयरमैन डॉ. सीआर रावत ने बताया कि तनाव, पर्याप्त नींद न लेना, फास्ट फूड, मोटापा और शारीरिक गतिविधियों में कमी युवाओं को इस बीमारी की ओर धकेल रही है। यही वजह है कि आज 30 की उम्र में भी कई लोग कार्डियक अरेस्ट या स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं।

साइलेंट किलर है हाई ब्लड प्रेशर

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि कई बार इसके लक्षण दिखते भी नहीं हैं। लोग अचानक हार्ट अटैक या लकवे जैसी गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। इसलिए 30 साल की उम्र के बाद नियमित जांच कराना बेहद ज़रूरी है।

इन आदतों से बचें और रखें दिल को हेल्दी

विशेषज्ञों ने युवाओं को दिल की बीमारियों से बचाव के लिए खास सुझाव दिए:

  • वजन न बढ़ने दें और नियमित योग-व्यायाम करें।
  • 30 साल की उम्र के बाद ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच अनिवार्य कराएं।
  • फास्ट फूड, तला-भुना और बाजार का भोजन खाने से बचें।
  • नमक का सेवन कम करें, दिन में केवल 3-5 ग्राम तक ही लें।

युावओं में बढ़ सकता है कार्डियक अरेस्ट का खतरा

डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते लोग सतर्क नहीं हुए तो आने वाले सालों में युवाओं में अकस्मात मौत (सडन कार्डियक अरेस्ट) की घटनाएं और भी तेजी से बढ़ सकती हैं। इसलिए स्वस्थ खानपान और नियमित चेकअप ही एकमात्र बचाव है।

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