भोले नाथ के भक्तों को सावन के महीने का साल भर इंतजार रहता है। सावन के माह को देवों के देव महादेव का सबसे प्रिय माह माना गया है. शिव जी की आराधना और भक्ति के लिए सावन का महीना उत्तम माना गया है.
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मान्यताओं के अनुसार है कि जो भी भक्त सावन में नियमित रूप से शिवलिंग का जल अभिषेक करते हैं और सावन में पड़ने वाले हर सोमवार का व्रत करते हैं, उनकी हर मनोइक्षा पूरी होती है.सावन में कई लोग शराब पीना और मीट खाना छोड़ देते हैं, इसके पीछे ज्यादातर लोग धार्मिक तर्क देते हैं, ऐसा माना जाता है कि सावन माह भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह है, ऐसे में शराब पीना और मांस खाना धार्मिक नजरिए से ठीक नहीं होगा, जबकि कुछ लोग ऐसा नहीं मानते और वह शराब और मांस का सेवन करते रहते हैं जो उनके लिए भविष्य में हानिकारक सिद्ध होता है.सावन में मीट और शराब छोड़ना सिर्फ धार्मिक नजरिए से जरूरी नहीं है, साइंस भी ये मानती है कि सावन में तामसिक यानी कि शराब, मीट, तेल मसाले आदि का प्रयोग कम करना चाहिए. आइए समझते हैं कि क्यों सावन में मीट-मदिरा को छोड़ना जरूरी है.सावन को प्रजनन यानी ब्रीडिंग का महीना माना जाता है, ज्यादातर जीव इसी माह ब्रीडिंग करते हैं, ऐसा माना जाता है कि यदि हम कोई ऐसा जीव खाएंगे जो प्रेग्नेंट हैं तो हमारी शरीर को नुकसान पहुंचेगा. इस बात के वैज्ञानिक तथ्य भी हैं,

साइंस ऐसा मानती है कि यदि हम प्रेग्नेंट जीव का मांस खाते हैं तो हमारे शरीर में हार्मोनल डिस्टरबेंस होता है जिससे भविष्य में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.आप की पाचन शक्ति कम हो सकती ,इंफेक्शन का खतरा हो सकता है।
साइंस ये मानती है कि संक्रामक बीमारियां सबसे पहले जीवों को अपना शिकार बनाती हैं, ऐसे में माना जाता है कि यदि बारिश के मौसम में नॉनवेज खाने से संक्रामक बीमारियों का शिकार होने का खतरा बना रहता है. इसीलिए इस तरह के खाने को छोड़ देने की सलाह दी जाती है

वहीं आयुर्वेद भी कहता है कि सावन में शराब और मीट छोड़ देनी चाहिए. आयुर्वेद के मुताबिक इस महीने में शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, ऐसे में नॉनवेट और मसालेदार भोजन बीमारियों का कारण बन जाता है.इस आप सब सावन के इस पवित्र माह में भगवन शिव की आरधना करें और शिव जी का जलाभिषेक करके अपने जीवन को धन्य बनाये