यूं तो आपने बाराते बहुत सारी देखी होंगी लेकिन शायद आपने अभी तक कभी भी बिना दूल्हे एवं बिना दुल्हन की बारात नहीं देखी होगी,जनपद बहराइच के गाजी की दरगाह पर लगने वाले मेले में पूरे देश से जायरीन हजारों की संख्या में बारात लेकर आते हैं लेकिन खास बात यह है कि इस बारात में बाराती होते हैं डोली होती है दहेज का सामान होता है लेकिन कोई दूल्हा और दुल्हन नहीं होती है
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कहा जाता है कि गाजी की दरगाह पर पहुंचने वाले जायरीन बारातियों के साथ भारी मात्रा में दहेज का सामान लेकर पहुंचते हैं और गाजी की दरगाह पर मिन्नतें मांगते हुए जियारत करते हैं
बताया जाता है कि बाराबंकी के रुदौली शरीफ के नवाब रुकनुद्दीन की बेटी जोहरा बीवी जो दोनों आंखों से अंधी थी जोहरा बीवी की मां ने गाजी की दरगाह पर मिन्नते मांगते हुए जियारत की जिसके बाद जोहरा बीवी की दोनों आंखें ठीक हो गई और वह देखने लगी
आंखों में रोशनी आने के बाद जोहरा बीवी ने प्रण किया कि वह गाजी की दरगाह छोड़कर अपने घर वापस नहीं जाएंगी जिसके बाद जोहरा बीवी के परिजनों ने शादी के लिए रखा हुआ दहेज का सामान भी लाकर गाजी की दरगाह पर चढ़ा दिया और यह परंपरा तभी से जारी हो गई और पूरे देश से हजारों की संख्या में लोग बारात लेकर गाजी की दरगाह पर पहुंचने लगे
इस मेले का शुभारंभ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शमीम अहमद के द्वारा किया गया जिसमें जनपद समेत आसपास के जनपदों के तमाम संभ्रांत नागरिक भी शामिल होते हैं 1 माह तक चलने वाले इस मेले में भारत समेत दूसरे देशों से भी लोग यहां जियारत करने पहुंचते हैं यह परंपरा 1 हज़ार वर्ष से भी पुरानी बताई जाती है