पाकिस्तान में सिर्फ हिंदुओं पर अत्याचार नहीं हो रहा…बल्कि इस्लामिक देशों में मुसलमान अपने ही भाईयों की नफरत का शिकार हो रहे है…इस्लामिक समुदाय के अंदर ही समाज दो भागों में बट चुका है…
ALSO READ साल 2022 से 23 के बीच भारत में राज्यों के द्वारा लिया गया कर्ज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

जिसमे नफरत और हिंसा का शिकार बन रहे है अहमदिया मुस्लिम…पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिम के मस्जिदों को टारगेट करके इनपर हमले किए जा रहे है अहमदिया मुसलमानों का सरेआम कत्ल किया जा रहा है…चिंता की बात ये है कि पड़ोसी मुल्क की ये लड़ाई अब भारत में भी दस्तक दे चुकी है…क्युकी आंध्र प्रदेश के वख्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानो के खिलाफ फतवा जारी करते हुए उन्हें मुस्लिम मानने से ही इंकार कर दिया है। ऊपर से हिंदुस्तान के सबसे बड़े इस्लामिक संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी मंगलवार को वक्फ के फैसले का समर्थन करते हुए अहमदिया समुदाय को इस्लाम का विरोधी बता दिया…अहमदिया मुसलमानों को काफिर बताकर उनका अपने ही समाज से बहिष्कार कर दिया गया है… वक्फ के इस फैसले का मतलब अहमदियों का समाज से बहिष्कार तक सीमित नहीं है बल्कि उनसे जुड़ी धार्मिक संपत्तियों और स्थानों का नियंत्रण भी वक्फ अहमदिया मुसलमानो से छीन लेगा… काज़ी अहमदिया परिवार में निकाह नहीं पड़ सकेंगे। मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकेंगे… हजयात्रा के लिए जो अनुदान मिलता था वो भी नहीं मिलेगा। मुस्लिम समुदाय से जुड़ी सहायता भी नही मिलेगी। कादियानवाद जिसे अहमदिया मुस्लिम मानते है..1889 में मिर्जा गुलाम अहमद ने धार्मिक संगठन का निर्माण किया था…इस संगठन के विचार मिर्जा गुलाम अहमद के जीवन और शिक्षा से प्रेरित है…

जिन्हे इस्लाम के आखरी सुधारक के रूप में माना जाता है। जिनका जन्म पंजाब के कादियान में हुआ था इसलिए अहमदियों को कादियानी समाज भी कहा जाता है और यही विराध का मूल कारण भी है। क्योंकि शरीयत के मुताबिक इस्लाम के दो मूल सिद्धांत है पहला है तौहीद यानी ईश्वर एक है इसका कोई दूसरा भागीदार नहीं और दूसरा है रिसालत यानी पैगंबर मोहम्मद ही इस्लाम के आखरी पैगंबर है…जबकि अहमदी मुस्लिम 19वी शताब्दी में जन्मे मिर्जा गुलाम को मानते है जो इस्लाम के धार्मिक कानून में अंतर विरोध की स्तिथि पैदा करता है। पाकिस्तान बांग्लादेश इंडोनेशिया में ये विचार बैन है ।1974 में भी 110 देशों से आए मुस्लिम संगठनों ने अहमदियों को इस्लाम से बेदखल कर दिया था। 1984 में पाकिस्तान में 40 लाख अहेमादियों को एक अध्यादेश लाकर सरकार ने गैर इस्लामिक घोषित कर दिया…

2012 में भी आंध्र प्रदेश में वक्फ ने अहमदियों को गैर इस्लामिक बताया था। इस फैसले को तब हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हालांकि अब केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने वक्फ के इस फैसले को नफरती अभियान बताते हुए आंध्रप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा गया है। भारत में डेढ़ लाख से भी ज्यादा अहमदियां मुस्लिम रहते है। जिनके खिलाफ उन्हीं के समाज से जुड़े धार्मिक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है।