आज जानकारी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जो दुनिया का सबसे अमीर आदमी था नाम था विरजी वोहरा। विरजी वोहरा हिन्दुस्तान के सूरत गुजरात के एक व्यापारी थे जो 1617 से 1670 तक दुनिया के सबसे अमीर आदमी थे।
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ये एस्ट इंडिया कंपनी तथा डच एस्ट इंडिया कंपनी व् परवर्ती मुग़लों के फायनेंसर थे…. एक आंकड़े के अनुसार उस दौरान इनकी कुल संपत्ति 8 बिलियन भारतीय मुद्रा थी। ये सभी प्रकार के मसाले ,सोना चांदी ,तथा हुंडी का कारोबार करते थे जिसे आजकल हवाला कहा जाता है। आपको जानकार हैरानी होगी की विरजी वोहरा अंग्रेजों को बड़ी व्याज दरों पर कर्ज देते थे जिससे अंग्रेज परेशान थे।लिखा है की एक बार मुग़ल सैनिकों ने इन्हे गिरफ्तार कर जेल में दाल दिया था बाद में शाहजहान के कहने पर छोड़ दिया गया जिसके बदले वोहरा ने शाहजहाँ को चार अरब घोड़े तोहफे में दिए थे। 1664 तथा 1670 में दो बार मराठा शिवाजी ने इनके गोदाम पर छापा मारा।जिससे इनको काफी नुक्सान हुआ। समस्त ईस्ट इंडिया कंपनी के पुरे महीने की कमाई विरजी वोहरा के एक दिन की कमाई के बराबर थी। आंकड़े चौकाने वाले जरूर है पर सच हैं।

आपसब जानते है की पहले ट्रांसपोर्ट के साधन नहीं थे इसलिए विदेशी व्यापार जल मार्ग से ही होता था और सूरत ,विशाखापत्तनम ,मुसलीपट्टनम ,कलकत्ता ,बम्बई,कालीकट अदि स्थानों पर विदेशी व्यापारी आये और वंही से व्यापार व्यवसाय प्रारंभ हुआ। इसलिए आज भी दक्षिण भारत आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत ज्यादा समृद्ध है। दक्षिण के लोग शुरू से ही व्यापार व्यवसाय में मस्त रहते थे उन्हें द्रविड़ कहते थे वहीँ उत्तर भारत के लोग जिन्हे आर्य कहा जाता था वे युद्ध मारकाट तथा सीमाओं की सुरक्षा व् अखंड भारत के निर्माण में व्यस्त रहते थे और अपने को द्रविड़ों से श्रेठ मानते थे।केवल एक विरजी वोहरा की कहानी ही यह साबित करती है की भारत सोने की चिड़िया था और विश्व का पहला सबसे अमीरआदमी भारत का था जिससे अंग्रेज उधार मांगते थे।