इंदौर में बावड़ी पर हुए हादसे के बाद बहुत से सवाल पैदा हो रहे हैं. बावड़ी के हादसे में 36 मौतें कई लोगों की लापरवाही का परिणाम है और यह लापरवाही 25 साल से चल रही थी.लेकिन किसी का ध्यान नहीं गया.
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हादसे के बाद आरोप-प्रत्यारोप जरूर शुरू हो गए… आरोप-प्रत्यारोपों ने बहस की तासीर बदल दी लेकिन सवाल के उत्तर नहीं मिले… सवाल यही है कि हादसों के बाद ही हम जागृत क्यों होते हैं… अस्पतालों, होटलों में आग लग जाती है…. तब जाकर फायर ऑडिट होता है… बच्चे ट्यूबेल में गिर जाते हैं… तब जाकर ट्यूबवेल का सर्वे शुरू होता है…. खतरनाक पुल ढह जाते हैं उसके बाद पुलों का सर्वे शुरू होता है…. और जागृत होने की यह प्रक्रिया भी अंजाम तक नहीं पहुंचती…क्योंकि कुछ दिन जागरूक रहने के बाद हमारे कर्णधार और जिम्मेदार फिर सो जाते हैं… फिर राजनीतिक दबाव भी रहता है… अवैध निर्माण तोड़ने पर राजनीति की जाती है… और कोई बड़ी घटना घट जाती है… घटना के पहले एक्शन की प्रवृत्ति कब और कैसे पैदा होगी… प्रशासन हमेशा सजग रहना कैसे सीखेगा…. आज इन सवालों का जवाब जानने की कोशिश करेंगे… यह भी देखेंगे कि खतरनाक कुंए – बावड़ी कितने हैं…