
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर अपने वादों पर खरे उतरते नजर आए हैं। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के सफल समापन के बाद मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग के उन चालकों और परिचालकों को ₹10,000-₹10,000 का बोनस देने की घोषणा की थी, जिन्होंने दिन-रात मिलकर कुम्भ में यात्रियों की सेवा की। अब 8 जुलाई, मंगलवार को योगी सरकार ने इस वादे को पूरा कर दिया है।
सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम को कुल ₹24.71 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है। यह राशि विशेष रूप से महाकुंभ ड्यूटी में तैनात 11,786 चालकों और 12,285 परिचालकों के बोनस भुगतान के लिए दी गई है। इस फैसले से स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार कर्मठ कर्मचारियों को न केवल सम्मान देती है, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम भी उठाती है।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार प्रकट किया
परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने इस निर्णय के लिए मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया और कहा कि इससे विभाग के कर्मचारियों का उत्साह और कार्य के प्रति समर्पण और अधिक बढ़ेगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि महाकुंभ ड्यूटी में प्रदेश भर से कुल 19 परिवहन क्षेत्रों के चालकों और परिचालकों को तैनात किया गया था। इनमें से सबसे अधिक कर्मी लखनऊ क्षेत्र से आए थे, जिन्होंने अनुशासन और सेवा भावना के साथ अपना कर्तव्य निभाया।
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में परिवहन व्यवस्था की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जब प्रयागराज पहुंचते हैं, तो उनकी सुरक्षित, सुलभ और समयबद्ध यात्रा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है। इन परिस्थितियों में परिवहन कर्मियों ने अपनी ड्यूटी को न केवल जिम्मेदारी से निभाया, बल्कि कई बार अत्यधिक दबाव और कठिन परिस्थितियों में भी अपनी सेवा दी।
बोनस राशि की यह घोषणा और वितरण यह संदेश देता है कि प्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों के कार्य और समर्पण को गंभीरता से लेती है। इससे यह भी सिद्ध होता है कि योगी सरकार केवल योजनाएं बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन पर समयबद्ध अमल भी करती है।
यह पहल न केवल परिवहन विभाग के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि अन्य सरकारी विभागों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। भविष्य में भी इस प्रकार की कर्मचारी हितैषी योजनाएं उन्हें बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगी। यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वादे सिर्फ कहने के लिए नहीं होते, उन्हें निभाने का साहस भी होना चाहिए।