मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने 2027 तक प्रदेश को बाल श्रम मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। यह सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
जागरूकता से लेकर पुनर्वासन तक चल रहा है ठोस अभियान
सरकार लगातार ऐसे बच्चों की पहचान कर रही है जो बाल श्रम की चपेट में हैं, और उन्हें स्कूलों से जोड़ने का काम किया जा रहा है। अब तक 10,336 बाल श्रमिकों की पहचान हो चुकी है और 12,426 बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाया गया है।
बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत अब तक 2,000 बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाकर आर्थिक सहायता दी गई है, ताकि कोई भी बच्चा सिर्फ मजबूरी में काम न करे, बल्कि पढ़ाई में आगे बढ़े।
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12 जून को अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर बड़े कार्यक्रम
बाल श्रम के खिलाफ जागरूकता को और धार देने के लिए 12 जून को राज्यभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनका मकसद साफ है – बच्चों की जगह किताबों में है, काम में नहीं।
बच्चों के साथ-साथ परिवारों को भी मिल रही मदद
सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि उनके 1,089 परिवारों को भी आर्थिक सहायता दी गई है, ताकि वे बच्चों को स्कूल भेज सकें। यही नहीं, बंधुआ मजदूरी के खिलाफ भी सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए 1,408 श्रमिकों को आज़ादी दिलाई और 1,817 लाख रुपये से अधिक की मदद पहुंचाई।
श्रमिकों के लिए चलाई जा रही हैं 8 कल्याणकारी योजनाएं
सरकार श्रम कल्याण परिषद के ज़रिए संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए 8 योजनाएं चला रही है, जिनके संचालन के लिए 40 करोड़ रुपये की कॉर्पस फंड बनाई गई है। अब तक 309 श्रमिकों को 1.32 करोड़ रुपये की सहायता भी दी जा चुकी है।