सुरक्षा तंत्र लापरवाह होता गया, आतंकी नए सिरे से नेटवर्क बनाने में सफल रहे

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सूचनाओं की कड़ियां जुड़ने से पहले ही टूट जा रही है। यही वजह है कि बीते दो-तीन दशकों के भीतर देश व प्रदेश कई जिलों में दो दर्जन से अधिक आतंकी घटनाएं होने के बावजूद यहां सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों के स्लीपिंग माड्यूल के बारे में अधिक जानकारियां नहीं जुटा पाई है। हालांकि कई आतंकी संगठन के सदस्य सलाखों के पीछे भी पहुंचे और खूंखार आतंकियों का माने-जाने वाला आतंकी अजमल कसाब फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। वह भी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए देश पर सबसे बड़े हमले का दोषी था। इसी तरह आतंकी यासीन भटकल भी खतरनाक इरादे वाला था जो रूपयों के लालच देकर नई उम्र वाले युवकों की फौज तैयार करने में माहिर रहा। कश्मीर के पहलगाम में अंधाधुंध फायरिंग इसका ताजा उदाहरण है, जहां आतंकियों ने एक नई घटना को अंजाम देकर 28 पर्यटकों के सीने में गोलियों दाग कर मौत की नींद सुला दिया और बड़ी आसानी से फरार हो गए। जाहिर है पिछली घटनाओं की तफ्तीश के बाद सुरक्षा तंत्र लापरवाह होता गया और आतंकी नए सिरे से नेटवर्क बनाने में सफल रहे।

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दो सौ से ज़्यादा आतंकी उत्तर प्रदेश में हुए गिरफ्तार

यूपी की बात करें तो उत्तर प्रदेश में आतंकवाद की सुगबुगाहट 1992 में अलीगढ़ जावेद युसूफ नाम का आईएसआई एजेंट की गिरफ्तारी के बाद से सामने आई थी। जानकार बताते हैं कि अबतक दो सौ से अधिक आतंकवादी, शरणदाता व आईएसआई एजेंट गिरफ्तार किए गए, लेकिन इनसे वह जानकारियां नहीं हासिल की जा सकी जिनसे कि स्लीपिंग माड्यूल्स को नष्ट करने की दिशा में कदम उठाए जाते। नतीजतन आज भी देश व प्रदेश में आतंकियों का संगठन सक्रिय है इसका ताजा उदाहरण पहलगाम में हुई घटना।

देश में कहा-कहा हुए आतंकी हमले

14 फरवरी 2019- जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग भारतीय सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला किया, जिसमें 40 भारतीय सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई।

01 दिसंबर 2010- वाराणसी में शीतला घाट पर आरती के समय हुए बम विस्फोट दो लोग मारे गए, जबकि 37 घायल हुए।

13 फरवरी 2010- पुणे में जर्मन बेकरी के बाहर हुए बम विस्फोट में 17 लोगों की मौत हुई और कई लोग जख्मी हुए।

26 नवंबर 2008- देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आतंकियों के हमले में 166 लोग मारे गए।

30 अक्टूबर– असम में किए 18 बम विस्फोट में 77 लोग मारे गए, 100 घायल।

21 अक्टूबर– इंफाल में मणिपुर पुलिस कमांडो कांप्लेक्स के पास शक्तिशाली विस्फोट में 17 लोगों की मौत।

29 सितंबर– महाराष्ट्र के मालेगांव में भीड़भाड़ वाले इलाके में बम विस्फोट में पांच लोग मारे गए।

27 सितंबर– दिल्ली के महरौली में बम विस्फोट में तीन लोग मारे गए।

13 सितंबर- दिल्ली में छह स्थानों पर हुए सीरियल बम विस्फोट में 26 लोग मारे गए।

26 जुलाई– दो घंटे के भीतर अहमदाबाद के बीस स्थानों पर हुए बम धमाकों में 57 लोग मारे गए।

13 मई- जयपुर में हुए सीरियल बम धमाकों में 68 लोग मारे गए।

जनवरी- यूपी के रामपुर में सीआरपीएफ कैंप में हुए आतंकी हमलों में आठ लोग मारे गए।

अक्टूबर 2007- रमजान के दौरान अजमेर शरीफ दरगाह में हुए बम धमाके में दो लोग मारे गए।

अगस्त- हैदराबाद में हुए आतंकी हमले में 30 लोग मारे गए, जबकि 60 घायल हुए।

मई- हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए बम धमाके में 11 लोग मारे गए।

19 फरवरी- समझौता एक्सप्रेस में दो धमाकों के बाद लगी आग में 66 यात्री मारे गए।

सितंबर 2006- मालेगांव की एक मस्जिद में दो बम धमाकों में 30 लोग मारे गए, जबकि 100 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

जुलाई – मुंबई की लोकल ट्रेनों सात बम धमाके हुए इन धमाकों में 200 लोग मारे गए, जबकि 700 घायल हुए।

मार्च – वाराणसी के एक मंदिर और रेलवे स्टेशन पर हुए दोहरे बम धमाके में 20 लोग मारे गए।

अक्टूबर 2005- दीपावली से एक दिन पहले दिल्ली के भीड़भाड़ वाले इलाके बम धमाकों में 62 लोग मारे गए जबकि सैकड़ों लोग जख्मी हुए।

25 अप्रैल 2025- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अंधाधुंध फायरिंग कर आतंकियों ने 28 पर्यटकों को मौत की नींद सुला।

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