बलिया की धरती नें स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई से लेकर आजादी के बाद तक तमाम ऐसे लाल दिए जिन्होंने विश्व फलक पर देश का नाम ऊंचा किया उन्हीं में से एक नाम था चंद्रशेखर जी का युवा तुर्क चंद्रशेखर ने कई बार संसद में बलिया का प्रतिनिधित्व किया और भारत के प्रधानमंत्री भी बने। यूँ तो चंद्रशेखर जी से जुड़ी तमाम कहानियाँ सुनने को मिलती है उनमे से कुछ प्रमुख है। प्रधानमंत्री पद से चंद्रशेखर जी ने इस्तीफा दे दिया था इसके बाद कहा जाता है कि राजीव गांधी ने शरद पवार को बुलाया और कहा चंद्रशेखर को मनाओ की वो अपना इस्तीफा वापस लें। शरद पवार गए और उन्होंने इसकी पेशकश की तब चंद्रशेखर जी ने कहा कि जाइए और उनसे कह दीजिए कि “चंद्रशेखर दिन में तीन बार अपने फैसले नहीं बदलता।” सदन मे अपने दिए गए भाषणों की वजह से भी चंद्रशेखर की अक्सर चर्चा होती रहती है।
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चंद्रशेखर जब आखिरी बार आए थे बलिया
बात 10 अक्टूबर 2006 की है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर आखिरी बार बलिया आए थे। उन दिनों वो काफ़ी अस्वस्थ चल रहे थे और उसी हाल में दिल्ली से बलिया आ गए। चंद्रशेखर जी की आगमन की खबर सुनकर उनके चाहने वालों की भीड़ घंटो पहले से स्टेशन पर उनका इंतजार कर रही थी। चंद्रशेखर जी की ट्रेन स्टेशन पर पहुंची और धीरे-धीरे वो गेट पर आये और बाहर खड़े लोगों की भीड़ देख उनका मन द्रवित हो गया और चंद्रशेखर जी की आंखों से आंसू छलक गए। आज बागी बलिया के उस युवा तुर्क की जयंती है, चंद्रशेखर जी ने समाजवादी विचारधारा की हमेशा सियासत की उनकी बेबाकी के लिये उन्हें भारतीय राजनीति में अक्सर याद किया जाता रहेगा।