अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का संस्कृत विभाग इन दिनों सुर्खियों में है। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम विद्यार्थी गीता, वेद और उपनिषद का अध्ययन कर रहे हैं। यही नहीं, कई शोधार्थी तो वेद और आदि शंकराचार्य जैसे विषयों पर पीएचडी भी कर रहे हैं। संस्कृत विभाग की कक्षाओं में 50 फीसदी तक विद्यार्थी मुस्लिम समुदाय से आते हैं। विभागाध्यक्ष प्रो. सारिका वार्ष्णेय के मुताबिक, “मेरे लिए सभी विद्यार्थी सिर्फ विद्यार्थी हैं। मेरा पूरा फोकस इन्हें गुणात्मक शिक्षा देना है।”
मुस्लिम छात्र-छात्राओं का रुझान
वर्तमान सत्र (2025-26) में एमए संस्कृत में 17 विद्यार्थी नामांकित हैं, जिनमें 10 मुस्लिम हैं। वहीं, शोधार्थियों में भी आधे से ज्यादा मुस्लिम छात्र संस्कृत शास्त्रों पर काम कर रहे हैं।
- नगमा शाहिद, शोधार्थी (जयपुर) – “मैं आदि शंकराचार्य पर शोध कर रही हूं। मुझे संस्कृत पढ़ना अच्छा लगता है और इसी क्षेत्र में करिअर बनाना चाहती हूं।”
- मोहम्मद साकिब, शोधार्थी – “मैं वैदिक और इस्लाम धर्म, संस्कृति और समाज पर तुलनात्मक अध्ययन कर रहा हूं।”
- सानिया जावेद, एमए छात्रा – “गीता, रामायण या उपनिषद पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं। यह भी अन्य भाषाओं की तरह एक भाषा है।”
- फजले अहमद, एमए छात्र – “संस्कृत में जेआरएफ-नेट पास किया है। हर भाषा ज्ञान बढ़ाती है, इसलिए इसे सीखना जरूरी है।”
- विशाखा, शोधार्थी – “संस्कृत भी रोजगार के नए द्वार खोल रही है, इसी कारण मैंने इसे चुना।”
विभाग का इतिहास और उपलब्धियां
148 साल पुराने इस विभाग से अब तक 140 से अधिक पीएचडी और 35 एमफिल की डिग्रियां प्रदान की जा चुकी हैं। विभाग में साहित्य, वेद, दर्शन, कर्मकांड, श्रीमद्भागवत, महाभारत, रामायण, उपनिषद और आधुनिक संस्कृत की पढ़ाई कराई जाती है।
नए कोर्स की शुरुआत
संस्कृत विभाग इस साल कई नए कोर्स भी शुरू कर चुका है, जिनमें शामिल हैं—
- भारतीय ज्ञान प्रणाली के प्रकाश में संस्कृत ग्रंथ
- विधि और न्याय का सिद्धांत
- कौटिल्य अर्थशास्त्र का सिद्धांत
- योग और तनाव प्रबंधन
- गीता में जीवनशैली प्रबंधन
- चाणक्य सूत्र में सामाजिक और राजनीतिक सिद्धांत
परास्नातक में विद्यार्थियों की संख्या
- 2021-22: कुल 8 विद्यार्थी
- 2022-23: कुल 7 विद्यार्थी
- 2023-24: कुल 4 विद्यार्थी
- 2024-25: कुल 13 विद्यार्थी
- 2025-26: कुल 17 विद्यार्थी (10 मुस्लिम, 7 गैर-मुस्लिम)
संदेश साफ़: शिक्षा मज़हब से ऊपर
एएमयू का यह उदाहरण बताता है कि ज्ञान और भाषा किसी मजहब की सीमाओं में बंधे नहीं होते। यहां मुस्लिम विद्यार्थी वेद-उपनिषद से लेकर संस्कृत के महाकाव्यों तक पढ़ रहे हैं और शोध कर रहे हैं। संस्कृत विभाग का यह अनोखा संगम शिक्षा की उस शक्ति को दिखाता है, जो धर्म और सीमाओं से ऊपर उठकर लोगों को जोड़ती है।


